• Wed. Oct 16th, 2024

Anant Clinic

स्वस्थ रहें, मस्त रहें ।

सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे नुकसान | गुण उपयोग और सेवन विधि | sutshekhar ras benefits in hindi

Byanantclinic0004

Mar 3, 2020
सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि | sutshekhar ras benefits in hindi | सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे, नुकसान और सेवन विधि हिंदी में | सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे हिंदी में | sutshekhar ras uses in hindi | sutshekhar ras benefits in hindi | health benefits and side effects of sutshekhar ras | वात-पित्त रोगों की रामबाण औषधि | sutshekhar ras ke fayde, nuksan or sewan vidhi hindi me | सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के लाभ और हानि | sutshekhar ras ke labh in hindi | सूतशेखर रस के फायदे | सूतशेखर रस के नुकसान | बैद्यनाथ सूतशेखर रस के फायदे नुकसान हिन्दी में
सूतशेखर रस पूर्णतया आयुर्वेदिक और सुरक्षित औषधि है। इसका सेवन एसिडिटी, उल्टी, सूखी खांसी, भूख की कमी, खट्टी डकार, पेट फूलना आदि रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा भी यह अनेक रोगों में फायदा पहुंचाती है। इसे आप बिना डॉक्टर की पर्ची के बाजार से बड़ी आसानी से खरीद सकते हैं। आइए जानते हैं सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे, नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि (sutshekhar ras benefits in hindi) के बारे में विस्तार से।
तो आइए जानते हैं सूतशेखर रस (स्वर्ण युक्त) के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि के बारे में।

सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के मुख्य घटक


शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, स्वर्ण भस्म, रौप्य भस्म, शुद्ध सुहागा, सोंठ, मिर्च, पीपल, शुद्ध धतूरे के बीज, ताम्र भस्म, दालचीनी, तेजपात, छोटी इलायची, नागकेसर, शंख भस्म, बेलगिरी और कचूर प्रत्येक संभाग लेकर प्रथम पारा – गंधक की कज्जली बनाकर, शेष दवाओं का कपड़छन चूर्ण मिला, 21 दिन भांगरे के रस में मर्दन कर 2-2 रत्ती की गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रख लें।

सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि | sutshekhar ras benefits in hindi


सूतशेखर रस के उपयोग से अम्लपित्त, वमन, संग्रहणी, खांसी, मंदाग्नि, पेट फूलना, हिचकी आदि रोग नष्ट होते हैं।

स्वास् तथा राज्यक्ष्मा में

स्वास तथा राजयक्ष्मा में भी सूतशेखर रस का प्रयोग किया जाता है। यह रसायन पित्त दोषों का नाश करके हृदय को ताकत देता है, इसलिए राजयक्ष्मा की प्रथम और द्वितीय अवस्था में भी इसको देने से लाभ होता है। श्वास रोग में एक-एक गोली सुबह शाम शहद के साथ सेवन करें।

वात और पित्त के दोषों को दूर करने में

यह रसायन पित्त और वातजन्य विकारों को शांत करता है विशेषतया- पित्त की विकृति जैसे अम्लता या तीक्ष्णता या आमाशय अथवा पित्ताशय में पित्त कमजोर हो अपना कार्य करने में असमर्थ हो गया हो, तो यह उसे सुधार देता है।

एसिडिटी और उल्टी में 

अगर आपको पित्त बढ़ने के कारण बहुत अधिक एसिडिटी हो गई है जिसकी वजह से सीने में जलन, खट्टी डकार, खट्टा वमन अर्थात खटास युक्त उल्टी, कोष्ठ में दर्द होना उदावर्त आदि अन्य पित्त- विकृति रोगों को दूर करने के लिए भी वैद्य प्राय: सूतशेखर रस को उपयोग में लाते हैं।

दस्त रोकने में 

इस रसायन को आयुर्वेद में वात – पित्त दोषों का नाश करके हृदय को ताकत देने वाला बताया गया है, संग्रहणी और अतिसार आदि वात प्रधान रोग ही हैं इसलिए सुतशेखर रस को दस्त को रोकने तथा हृदय को ताकत देने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।


यह भी पढ़ें –  पेट के कीड़ों की रामबाण औषधि 

सुखी खांसी में 


सूखी खांसी में कफ नहीं निकलता, और रात में इस खासी का प्रकोप ज्यादा हो जाता है। ऐसे में सुतशेखर रस को सितोपलादि चूर्ण या तालीसादि चूर्ण के साथ, शहद मिलाकर भोजन के उपरांत लेने के कुछ ही समय में  खांसी दूर हो जाती है।

जठराग्नि को बढ़ाने तथा दर्द का नाश करने में 


यह रसायन पाचक पित्त की विकृति को दूर कर हमारे पाचन तंत्र को ठीक कर जठराग्नि प्रदीप्त करता है, और कोष्ठ में होने वाले दर्द को दूर करता है, क्योंकि यह वेदन शामक भी है, परंतु यह अफीम की तरह शीघ्र ही दर्द का शमन नहीं करता, क्योंकि यह अफीम जैसा तीक्ष्ण वीर्य प्रधान नहीं है। यद्यपि इसका प्रभाव दर्द में धीरे-धीरे होता है, परंतु स्थाई होता है। यह उपद्रव को शांत करते हुए मूल रोग को जड़ से नष्ट कर देता है।

यह भी पढ़ें – अपने बच्चों कि इम्मूनिटी को कैसे बढ़ाएं 

जैसे –

अम्लपित्त में वात प्रकोप से दर्द होता है, अर्थात हमारे शरीर की वायु बिगड़ी हुई रहती है। जिसके कारण शरीर में कहीं भी दर्द होने लगता है। और पित्त प्रकोप होने पर एसिडिटी, जलन, खट्टी डकार, व खट्टा वमन जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं, और सूतशेखर रस में वात- पित्तशामक गुण होने के कारण उपरोक्त दोनों विकारों को नष्ट करते हुए अम्लपित्त को भी नष्ट कर देता है, इसलिए इसका प्रभाव धीरे-धीरे किंतु स्थाई होता है।

हृदय गति को सुचारू रूप से चलाने में

सूतशेखर रस का प्रभाव वात वाहिनी और रक्त वाहिनी शिराओं पर भी होता है। रक्तपित्त की गति में वृद्धि हो जाने के कारण हृदय और नाड़ी की गति में वृद्धि हो जाती है, इसको सूतशेखर रस कम कर देता है। इस रसायन से रक्त वाहिनी नाड़ी कुछ संकुचित हो जाती है, जिससे बढ़ी हुई रक्त की गति अपने आप रुक जाती है। रक्त की गति कम होने पर हृदय की गति भी ठीक रूप से चलने लगती है, जिससे हृदय को कुछ शांति मिल जाती है। इसके इसी गुण के कारण इसको हृदय को ताकत देने वाला भी कहा गया है।


यह भी पढ़ें- प्रमेह, बवासीर, मूत्राघात, पथरी, पाण्डू, संग्रहणी, सन्निपात, वीर्य स्तंभन तथा संभोग शक्ति में आई कमजोरी आदि के लिए अभ्रक भस्म के फायदे गुण और उपयोग

 
सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि | sutshekhar ras benefits in hindi | सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे, नुकसान और सेवन विधि हिंदी में | सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे हिंदी में | sutshekhar ras uses in hindi | sutshekhar ras benefits in hindi | health benefits and side effects of sutshekhar ras | वात-पित्त रोगों की रामबाण औषधि | sutshekhar ras ke fayde, nuksan or sewan vidhi hindi me | सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के लाभ और हानि | sutshekhar ras ke labh in hindi | सूतशेखर रस के फायदे | सूतशेखर रस के नुकसान | बैद्यनाथ सूतशेखर रस के फायदे नुकसान हिन्दी में
sutshekhar ras benefits in hindi

आन्त्रिक सन्निपात में 

 

पित्ताधिक्य होने पर सिर में दर्द, अण्ट-सण्ट बोलना, नींद ना आना, प्यास, पीलापन लिए जलन के साथ दस्त होना, रक्त की गति में वृद्धि होना, सूखी खांसी, पेशाब में पीलापन आदि लक्षण होते हैं। ऐसी अवस्था में सूतशेखर रस, प्रवाल चंद्रपुटी और गिलोय सत्व में मिलाकर देने से पित्त की शांति हो जाती है, तथा बढ़ी हुई रक्त की गति कम हो जाती है। फिर धीरे-धीरे रोगी अच्छा होने लगता है।

सिर चकराने पर 


शरीर में वात और पित्त की वृद्धि से रक्त दूषित हो जाने पर रक्त का संचार सीधा न होकर कुछ टेढ़ा मेढ़ा होने लगता है। यह संचार माथे की तरफ ज्यादा होता है। जिससे सिर में चक्कर आने लगता है, रोगी को मालूम होता है कि समस्त संसार घूम रहा है। रोगी बैठा हुआ रहे तो भी उसे मालूम होता है कि वह चल रहा है या ऊपर नीचे आ जा रहा है। इससे आंखें बंद हो जाती हैं, माथा शून्य होता और कानों में सनसनाहट होने लगती है, हृदय की गति शिथिल हो जाती है, रोगी कभी-कभी घबराने भी लगता है। ऐसी अवस्था में सूतशेखर रस शंखपुष्पी चूर्ण 1 माशा और यवासा चूर्ण 1 माशा के साथ मिश्री मिला, गौ- दूध या ठंडे जल के साथ देने से बहुत शीघ्र लाभ होता है।


यह भी पढ़ें – बंग भस्म के फायदे 

आक्षेप जन्य वायु रोग 


जैसे- धनुष्टंकार,अपतन्त्रक ( हिस्टीरिया ), अपतानक,धनुर्वात आदि रोगों में भी इसका उपयोग होता है, परंतु यह रोग वात – पित्तात्मक होने चाहिए।

कभी-कभी स्त्रियों को बच्चा पैदा होने के बाद अथवा मासिक धर्म खुलकर ने होने या दर्द के साथ होने पर चक्कर आने लगता है। यह चक्कर रह-रहकर आता है। इसमें गर्भाशय में दर्द होना, कोष्ठ में दर्द होना, घबराहट और कमजोरी बढ़ते जाना, थोड़ा-थोड़ा वमन होना, बेचैनी, वमन होने के बाद पेट में दर्द होना आदि लक्षण होते हैं। ऐसी हालत में सूतशेखर रस के उपयोग से वातजन्य आक्षेप तथा पित्तज दोष शांत हो जाते हैं।

वातज सिर दर्द में 

 

सिर में कील ठोकने के समान पीड़ा होने से रोगी का व्याकुल हो जाना, संपूर्ण माथे में दर्द होना, दर्द के मारे रोगी का पागल-सा हो जाना, रोना, चिल्लाना आदि लक्षण होते हैं, और पित्तज सिर दर्द में – सिर में जलन के साथ दर्द होना, कफ और मुंह सूखना, वमन होना आदि लक्षण होते हैं। इसमें सुतशेखर रस बहुत फायदा करता है।

आमाशय को ठीक करता है 


अमाशय की श्लैष्मिक कला में सूजन के साथ छोटे-छोटे पतले वर्ण हो जाते हैं, फिर इसमें कड़े अन्न का संयोग होने से दर्द होने लगता है, और वह अन्न वहां पर रहकर सड़ने लगता है, और जब वमन के साथ वह अन्न निकल जाता है। तब कुछ शांति मिलती है। ऐसी अवस्था में सूतशेखर रस देने से आमाशय के व्रण का रोपण हो जाता है, तथा पित्त का स्राव भी नियमित रूप से होने लगता है, और अपचन आदि विकारों के नष्ट होने से दर्द भी नहीं होता है।

                                         औ. गु. ध. शा.

सूतशेखर रस की मात्रा अनुपान और सेवन विधि 

 
एक-एक गोली सुबह शाम शहद १ माशा, गाय का घी ३ माशा, मीठे बेदाने या दाड़िम का रस, दाड़िमावलेह या शर्बत अथवा लाजमण्ड के साथ दें।

सूतशेखर रस के नुकसान 

सूतशेखर रस पूर्णतया आयुर्वेदिक और सुरक्षित औषधि है। आयुर्वेद सार संग्रह में भी इससे होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान का वर्णन नहीं मिलता, फिर भी इसका सेवन करने से पहले एक बार अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क अवश्य करें।

विशेष नोट –

आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही सेवन करें।

यह भी पढ़ें – विषम ज्वर, मियादी बुखार व अन्य सभी तरह के बुखार की रामबाण औषधि – महाज्वारंकुश रस के फायदे और सेवन विधि 

 

(Visited 3,808 times, 1 visits today)
One thought on “सूतशेखर रस ( स्वर्ण युक्त ) के फायदे नुकसान | गुण उपयोग और सेवन विधि | sutshekhar ras benefits in hindi”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *