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कोरोनावायरस: आज 50 वां पृथ्वी दिवस धरती- क्या चाहती है आपसे

Byanantclinic0004

Apr 22, 2020
Today-50 World Earth Day
पृथ्वी दिवस की शुरुआत कैसे हुई?

कोरोनावायरस जैसी महामारी के बीच आज विश्व 50 वां पृथ्वी दिवस मना रहा है।

कोरोना वायरस जहां विश्व भर में जनमानस के लिए यमराज का रूप बनकर आया है, तो वही यह पृथ्वी के लिए एक वरदान साबित हुआ है। कोरोना के कारण विश्व भर में लॉकडाउन की स्थिति के बीच प्रकृति मुस्कुरा रही है।

धरती (प्रकृति) यही तो चाहती है – 

कदाचित धरती (प्रकृति) हम मनुष्यों से यही तो अपेक्षा करती है कि उसके साथ अनावश्यक छेड़छाड़ ना की जाए, प्रकृति संतुलन चाहती है लेकिन मानव जाति ने प्राकृतिक संतुलन के साथ खिलवाड़ किया है। विश्व भर के देश विकास की अंधी दौड़ और टेक्नोलॉजी के विस्तार के लिए पृथ्वी का लगातार दोहन कर रहे हैं।

क्लाइमेट चेंज या ग्लोबल वार्मिंग प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही सबसे बड़ा नतीजा है, और जल संकट, प्रदूषित वायु और रेतीली होती उपजाऊ जमीन इसका परिणाम है।

आज हम कोरोनावायरस के कारण अपने घरों में सुरक्षित हैं लेकिन अगर हम इसी रफ्तार से प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते रहे, पृथ्वी का दोहन करते रहे तो यह याद रखें कि उसके बाद हम अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं बच पाएंगे।

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कोरोना बनाम क्लाइमेट चेंज –

कोरोना के परिणाम –

1 – कोरोना लगभग 60% जनसंख्या को संक्रमित कर सकता है।

2 – इसके कारण 4 से 5% संक्रमित लोग मारे जा सकते हैं।

3 – कोरोनावायरस हमारी वर्तमान पीढ़ी के लिए ही जानलेवा है।

4 – इसकी वैक्सीन बनाई जा सकती है, जिससे इसका इलाज संभव हो सकता है।

क्लाइमेट चेंज के परिणाम –

1 – क्लाइमेट चेंज के कारण 100% लोगों पर इसका प्रभाव पड़ा है, कहने का मतलब पृथ्वी पर रहने वाले इंसान ही नहीं बल्कि सभी जीवों पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है।

2 – उग्र क्लाइमेट चेंज से कोई नहीं बच सकता।

3 – क्लाइमेट चेंज के कारण हमारा वर्तमान ही नहीं अपितु हमारा भविष्य भी समाप्त हो सकता है, अर्थात् हमारे बच्चे ही नहीं हमारे बच्चों के होने वाले बच्चे भी समाप्त हो सकते हैं।

4 – इसका कोई वायरस या वैक्सीन बनाना संभव ही नहीं है।‌

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जलवायु परिवर्तन से हम कैसे बच सकते हैं –

1 – भोजन की बर्बादी रोकने से 6% ग्लोबल वार्मिंग को मुफ्त में रोका जा सकता है।

2 – मांसाहार त्यागने से 27% ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सकता है। इसलिए शाकाहारी बनें।

3 – सौर, वायु, जल ऊर्जा के इस्तेमाल से जल और जंगल को बचाया जा सकता है।

4 – हम पौधारोपण से खोए जंगलों को लौटा सकते हैं, और तब ही धरती शांत हो शीतल हो सकती है।

इसलिए हमें चाहिए की हम अपनी आदतों से लड़े ना कि पृथ्वी से।

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ऐसे हुई पृथ्वी दिवस की शुरुआत –

आज दुनिया 50 वां पृथ्वी दिवस मना रही है, डेनिस हेस अर्थ-डे नेटवर्क के चेयरमैन हैं, 22 अप्रैल 1970 को पहले अर्थ डे का संयोजन हेस ने ही किया था और उस वक्त अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन इसके फाउंडर थे। तब सिर्फ अखबारों की मदद से इस आयोजन में 2 करोड़ लोग जुड़े थे। हेस अमेरिका में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई अधूरी छोड़ धरती बचाने के लिए काम में जुट गए थे। वह इंजीनियर हैं और स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रह चुके हैं।

डेनिस हेस ने भारत के विषय में क्या कहा –

डेनिस हेस ने दैनिक भास्कर के रितेश शुक्ला को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत अगर पूरी तरह सौर ऊर्जा को अपना ले तो औद्योगिक क्रांति के दुष्प्रभाव से बचते हुए विकसित देश बन सकता है। भारत में अनंत संभावनाएं हैं, सिर्फ उसे प्रतिबद्धता की जरूरत है, टेक्नोलॉजी के मामले में भारत भी बहुत एडवांस है। सौर ऊर्जा की अच्छाई यह है कि अपने घर ऑफिस में भी आप इसे बना सकते हैं, और सौर ऊर्जा भारत के गांव को स्वावलंबी बनाने का अच्छा तरीका हो सकता है। यानी भारत औद्योगिक क्रांति के दुष्प्रभाव से बचते हुए एक विकसित देश बन सकता है। कोयला धरती से निकालने, उसे थर्मल पावर स्टेशन पहुंचाने में जितना खर्च आता है उतने में सौर ऊर्जा तैयार हो जाती है।

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