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शूलव्रजनी वटी के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि | पेट दर्द ( Pet Dard ) की रामबाण औषधि।

Byanantclinic0004

Mar 11, 2020

Table of Contents

परिचय 

पेट दर्द इस नाम से हम सभी परिचित हैं, लगभग हम सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी पेट दर्द का सामना किया होगा। या हो सकता है आप में से बहुत से लोग, बच्चे या महिलाएं अभी भी पेट दर्द से पीड़ित होंगे।

पेट दर्द होने के कई सारे कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ जैसे- गैस बनना, एसिडिटी बनना, इन्फेक्शन होना, पेट में सूजन होना, पेट में कीड़े होना आदि कुछ प्रमुख कारणों में से हैं, जिनकी वजह से पेट दर्द हो सकता है, या कभी-कभी नॉर्मल सा दिखने वाला पेट दर्द किसी बड़ी बीमारी के होने का अंदेशा होता है। जैसे कि अचानक से उठने वाला पेट दर्द आपके लिए पथरी का अंदेशा लेकर आता है।
यह भी पढ़ें – भयंकर से भयंकर सिरदर्द की रामबाण औषधिआज हम एक ऐसी आयुर्वेदिक दवाई के बारे में जानेंगे जो लगभग 7 से ज्यादा तरह के पेट दर्दों के लिए एक रामबाण औषधि का काम करती है। उसका नाम है “शूलव्रजनी वटी”

तो आइए जानते हैं। शूलव्रजनी वटी के फायदे नुकसान, गुण उपयोग और सेवन विधि के बारे में।

शूलव्रजनी वटी के मुख्य घटक 

1- शुद्ध पारा
2- लौह भस्म
3- शंख भस्म
4- शुद्ध गंधक

1 से 4, प्रत्येक को 2 – 2 तोला की मात्रा में लें।

5- शुद्ध सुहागा
6- भुंजी हुई हींग
7- सोंठ
8- मिर्च
9- पीपल
10-  हरड़
11-  बहेड़ा
12-  आंवला
13-  दालचीनी
14-  तेजपात
15- तालीसपत्र
16-  जायफल
17-  लौंग
18- अजवाइन
19- जीरा और
20- धनिया

नंबर – 5 से 20, प्रत्येक 1 – 1 तोला लें।

शूलव्रजनी वटी बनाने की विधि 

सबको इकट्ठा करके कूटकर कपड़छन चूर्ण बना लें। और इसके बाद 3 दिन तक आंवले के रस में घोटकर 2 – 2 रत्ती की गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रख लें।

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इसके सेवन से आठ प्रकार के शूल, प्लीहा, गुल्म रोग, अम्लपित्त, आमवात, कामला, पाण्डु, शोथ, गलग्रह, वृद्धि रोग, श्लीपद, भगंदर, काश, श्वास, वर्ण, कुष्ठ, कृमि, हिचकी, अरुचि, अर्श ग्रहणी रोग, अतिसार, विसूचिका, कण्डू, अग्निमांद्य, पिपासा, पीनस और अन्य कई तरह के वात-पित्त कफ जन्य रोग नष्ट होते हैं।

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शूल रोग में इस रसायन का बहुत उपयोग होता है। हमारा अनुभव भी है कि जिस रोगी को मंदाग्नि के कारण पेट में मन्द-मन्द दर्द बना रहता हो, उसे यह दवा विशेष लाभ करती है। हम भोजन के बाद इस गोली को अर्क अजवाइन या गर्म पानी के साथ देते हैं।

किस-किस प्रकार के पेट दर्द में काम करती है आइए जानते हैं सरल भाषा में –

1- पेट में सूजन होने पर 

अगर आपकी आंतों में सूजन है या पेट में सूजन के कारण आपको दर्द होता है, तो उस दर्द में भी यह दवा बहुत फायदेमंद है।

2- इंफेक्शन के कारण होने वाले दर्द में 

अगर आपके पेट में किसी प्रकार का इंफेक्शन हो गया है,कई बार हम जब बाहर का खाना ज्यादा खाते हैं या कुछ भी उल्टा सीधा खाते हैं, तो हमारे पेट में इंफेक्शन हो जाता है। अगर उसके कारण आपका पेट दर्द कर रहा है, तो उस दर्द में भी है, यह बहुत जल्दी आराम करती है।

3- गैस के कारण होने वाले दर्द में 

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में और फास्ट फूड के बढ़ते इस दौर में गैस-एसिडिटी होना आम बात हो गई है, तो अगर आपको भी गैस-एसिडिटी के कारण पेट में जलन और पेट में दर्द होता है, तो आपको शूलव्रजनी वटी का सेवन जरूर करना चाहिए।

4- पीरियड के दौरान होने वाले दर्द में 

बहुत सी महिलाओं को पीरियड के दौरान उनको नाभि के नीचे बहुत दर्द होता है, बहुत पीड़ा होती है। ऐसे समय में भी इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।


5- जख्म के कारण होने वाले दर्द में 

अगर आपके पेट में अंदरूनी जख्म हो गए हैं, जिसके कारण दर्द हो रहा है, कई बार कुछ ज्यादा गर्म खाने की वजह से या ज्यादा तीखे मसाले खाने की वजह से या कई बार बच्चों को पेट में कीड़े के काटने की वजह से जख्म हो जाते हैं। जिसके कारण पेट में दर्द होने लगता है। उस अवस्था में भी इसका सेवन अत्यंत गुणकारी है।

6- पथरी के दर्द में

शूलव्रजनी वटी पथरी के कारण होने वाले दर्द में भी बहुत अच्छा आराम करती है।

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7- गुदा मार्ग में होने वाले दर्द में 

कई बार बवासीर के कारण फिर चाहे बवासीर खूनी हो या बादी, गुदा मार्ग में दर्द होने लगता है उस दर्द में भी यह दवा बहुत अच्छा काम करती है।

8- मंदाग्नि व अरुचि के कारण होने वाले दर्द में

जब हमारी अग्नि मंद पड़ जाती है, और अरुचि के कारण कुछ भी खाने का मन ना करें, जो भी खाए वह पेट में ही पड़ा रहे, ऐसे समय में पेट में भारीपन और मीठा-मीठा दर्द हर समय बना रहता है। ऐसे दर्द में भी इसका सेवन अत्यंत गुणकारी है।

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9- पेट में क्रैंप्स पड़ जाने के कारण होने वाले दर्द में

पित्त बढ़ने के कारण या पेट में क्रैंप्स पड़ जाने के कारण जिसको हम आम भाषा में धरण ऊपर नीचे हो जाना कहते हैं, इसके कारण अगर आपके पेट में दर्द है, तो उस अवस्था में भी शूलव्रजनी वटी का सेवन किया जा सकता है।

10- आंव के दर्द में

इन सबके अलावा यह आंव के दर्द को भी ठीक करती है। कई बार पेट साफ करते समय आपने देखा होगा कि मल में बहुत चिकना पन होता है या मल के साथ कुछ चिकना पदार्थ भी निकलता रहता है, उसी को आंव कहते हैं। ऐसे समय में पेट साफ होने के बाद भी आपको पेट में दर्द महसूस होता रहता है। ऐसे समय में भी अगर आप शूलव्रजनी वटी का प्रयोग करते हैं तो यह बहुत लाभकारी है।

आइए जानते हैं अलग-अलग दर्दों में शूलव्रजनी वटी की सेवन विधि।

1- अगर वात यानी वायु के बिगड़ने के कारण आपको पेट में दर्द है तो इसको गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।

2- अगर छाती में जलन या पेट में अग्नि जैसा महसूस हो रहा है, यानी अगर पित्त बढ़ने के कारण पेट में दर्द है। तो नॉर्मल ठंडे पानी के साथ इसका सेवन करें।

3- अगर पेट में कफ बढ़ा हआ है, या मल के साथ आंव आती है, तो एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद के साथ लेकर ऊपर से थोड़ा सा तेज गर्म पानी पी लें।

4- पित्त के रोगों में धरन के ज्यादा ऊपर नीचे होने पर गाय या बकरी के दूध के साथ एक चम्मच गाय का घी मिलाकर सेवन करें।

शूलव्रजनी वटी की मात्रा अनुपान और सेवन विधि

 

1 से 2 गोली सुबह शाम गाय या बकरी के दूध या ठंडे पानी के साथ देने से लाभ होता है।

शूलव्रजनी वटी के नुकसान

यह पूर्णतया सुरक्षित और आयुर्वेदिक औषधि है। आयुर्वेद सार संग्रह नामक पुस्तक में भी इससे होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान का वर्णन नहीं मिलता। इसे आप बिना डॉक्टर की पर्ची के बाजार से बड़ी आसानी से खरीद सकते हैं। फिर भी इसे अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही इसका प्रयोग करें।

दोस्तों इस ब्लॉग में हमने पेट दर्द के उपचार में प्रयोग की जाने वाली एक आयुर्वेदिक औषधि के बारे में जाना उम्मीद है आपको पसंद आया होगा पसंद आने पर लाइक एंड शेयर जरूर करें ताकि और लोग भी इस औषधि के सेवन का फायदा उठा सकें।

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